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ललिता देवी मंदिर नैमिषारण्य / Lalita Devi Mandir Naimisharanya

108 शक्तिपीठों में शुमार है मां ललिता देवी मंदिर, दर्शनमात्र से दूर हो जाते हैं हर रोग-व्याधि

पुराणों में नैमिषारण्य में लिंग धारिणी नाम से देवी का वर्णन है लेकिन अब यह ललिता देवी के नाम से विख्यात है। देवी भागवत में भी श्लोक है कि वाराणस्यां विशालाक्षी नैमिषेलिंग धारिणी प्रयागे ललिता देवी कामुका गंध मादने…।

सीतापुर, संवाद सूत्र। 88 हजार ऋषियों की तपस्थली, वेदों और पुराणों की रचना स्थली नैमिषारण्य स्थित लिंगधारिणी मां ललिता देवी का मंदिर देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। ललिता देवी को त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है। 108 शक्ति पीठों में शुमार इस देवी मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं। शारदीय और वासंतिक नवरात्र में तो काफी बहुत भीड़ उमड़ती है।

मंदिर का इतिहासः पुराणों में नैमिषारण्य में लिंग धारिणी नाम से देवी का वर्णन है, लेकिन अब यह ललिता देवी के नाम से विख्यात है। देवी भागवत में भी श्लोक है कि वाराणस्यां विशालाक्षी नैमिषेलिंग धारिणी, प्रयागे ललिता देवी कामुका गंध मादने…। नैमिषारण्य में ललिता देवी का वर्णन 108 देवी पीठाें में आता है। देवी भागवत में लिखा है कि दक्ष द्वारा अपने पति के अपमान को न सह सकीं और आहत होकर अपने प्राणों की आहुति दे दी।

तब शंकर जी ने अपने गणों के साथ यज्ञ को नष्ट कर डाला और सती के शव को लेकर इधर-उधर विचरण करने लगे। उनके नरसंहार से विरत न होते देखकर विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव के 108 टुकड़े कर डाले। शव के अंश जिन-जिन स्थानों पर गिरे, वहां पर देवी पीठ बने। नैमिषारण्य में सती जी का हृदय गिरा था, जिससे यह स्थान भी सिद्ध पीठ के नाम से विख्यात हुआ।

मंदिर की विशेषताः मां ललिता देवी के मंदिर में पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इस मंदिर पर पूरे नवरात्र बड़ी संख्या में पुजारी, साधु, संत और श्रद्धालु दुर्गा सप्तशती का अनवरत पाठ करते हैं। नया काम शुरू करने से पूर्व श्रद्धालु यहां आते हैं। इसके अलावा यहां पर मुंडन, अन्नप्रासन आदि संस्कारों कराने भी लोग आते हैं। माता के दर्शन को विभिन्न धर्मों के लोग भी पहुंचते हैं। गर्भ गृह में पूर्व दिशा में मां की प्रतिमा स्थापित है। माता का दर्शन अभीष्ठ फल देने वाला है।

कैसे पहुंचे नैमिषारण्यः नैमिषारण्य रेल व सड़क मार्ग से जुड़ा है। सीतापुर व बालामऊ जंक्शन से नैमिषारण्य के लिए सीधे ट्रेन की सुविधा है। रेल मार्ग पर सीतापुर से नैमिषारण्य 36 किलोमीटर व बालामऊ से 32 किलोमीटर की दूरी पर है। लखनऊ कैसरबाग बस अड्डा से नैमिषारण्य के लिए सीधे परिवहन निगम की बस सुविधा उपलब्ध है। साथ ही सीतापुर, हरदोई बस अड्डे से भी बस सेवा मिलती है। निकटतम हवाई अड्डा लखनऊ है, जो नैमिषारण्य से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है।

ठहरने का इंतजामः नैमिषारण्य में होटल और धर्मशालाओं में ठहरने की व्यवस्था है। इनमें एक हजार से लगाकर पांच हजार रुपये तक के कमरे उपलब्ध हैं। भोजन के लिए कई रेस्टोरेंट भी हैं।

मां ललिता देवी प्रमुख शक्तिपीठों में एक हैं। ललिता देवी का वर्णन देवी भागवत व पुराणों में भी है। मां ललिता दस महाविद्याओं में से एक हैं। सती जी के शरीर का ह्रदय नैमिषारण्य में गिरा था। यहां वर्ष भर देश, विदेश से श्रद्धालुओं का आगमन होता है। माता के दर्शन श्रद्धालुओं के लिए कल्याणकारी हैं। -लाल बिहारी शास्त्री, पुजारी ललिता देवी मंदिर। 

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