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बाबा जंगली नाथ मंदिर – लहरपुर / Baba Jangli Nath Mandir – Laharpur

200 साल पहले इस शिवलिंग से निकला था खून!

भारत में शिव मंदिरों की कोई कमी नहीं है। होगी भी कैसे यहां शिव भक्तों की तो यहां भरमार हैं। तो आज अपनी वेबसाइट के इस आर्टिकल में आपके प्यार बम-बम भोले अर्थात भगवान शंकर के ही एक अद्भुत मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।

भारत में शिव मंदिरों की कोई कमी नहीं है। होगी भी कैसे यहां शिव भक्तों की तो यहां भरमार हैं। तो आज अपनी वेबसाइट के इस आर्टिकल में आपके प्यार बम-बम भोले अर्थात भगवान शंकर के ही एक अद्भुत मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। बता दें जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं वो मंदिर उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिल से लगभग 30 कि.मी दूर लहरपुर तहसील में स्थित है। जहां स्थापित शिवलिंग के बारे में ऐसी मान्यता है कि जानकर शायद आपको अपनीं आंखों व कानों पर विश्वास नहीं होगा।

कहा जाता है बाबा जंगली नाथ नामक शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग धरती के अंदर पांच मीटर तक धंसा हुआ है। लोक मान्यता के आधार पर जब भी इस शिवलिंग को धरती से बाहर निकालने की कोशिश की गई तो उश दौरान शिवलिंग से खून आने लगा।

आइए विस्तार में जानें इस मंदिर के बारे में-

शिव जी के अन्य मंदिरों व धार्मिक स्थलों की तरह यहां भी भोलेनाथ से जो भी मनोकामना मांगी जाए वो शीघ्र ही पूरी होती है।  स्थानीय लोगों का मानना है कि बाबा जंगली नामक ये प्राचीन शिव मंदिर एक सिद्ध मंदिर है। शिव पर्व यानि शिवरात्रि तथा महाशिवरात्रि के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है।

यहां की प्रचलित कथाओं के अनुसार  इस शिव मंदिर का निर्माण लगभग 200 वर्ष पहले अंग्रेजी हुकूमत के दौरान हुआ था। बताया जाता है यहां एक अधिकारी हुआ करते थे जिन्हें दंड साहब के नाम से जाना जाता था। एक बार वे दंड साहब इस शिवलिंग को जंगल के रास्ते लेकर जा रहे थे। लहरपुर के ताहपुर गांव के समीप ये भोलेनाथ का यह शिवलिंग धरती पर गिर गया। जिसके बाद दंड साहब ने शिवलिंग को उठाने की काफ़ी कोशिश की, लेकिन वे असफल।

उन्होंने कुछ मजदूरों द्वारा गढ्ढा खुदवाकर शिवलिंग को बाहर निकालने की कोशिश की। परतुं गढ्ढा खोदते समय फावड़ा शिवलिंग से टकरा गया और उस पर खून आ गया। जिसके बाद उन्होंने तुरंत मज़दूरों को रोक दिया। ऐसा कहा जाता है उसी रात दंड साहब को सपने में भगवान शंकर ने दर्शन दिए। और दंड साहब से कहा कि जहां शिवलिंग है, वहीं मेरी प्राण प्रतिष्ठा करके एक मंदिर बनवाओ। जिसकी ठीक अगली सुबह दंड साहब ने मंदिर का निर्माण शुरू करवा दिया।

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