वह हिन्दू जो पढ़ा लिखा है | वह हिन्दू जो हर जरूरत मंद की मदद करता है | वह हिन्दू जो पशु-पक्षियों की सेवा करता है |
धर्म मानवता का विस्तार करता है, मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी भी उसकी करुणा में आश्रय पाते हैं। भारतीय संस्कृति में पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम, सह-अस्तित्व और यहाँ तक कि उनकी पूजा की भी परंपरा रही है। भारतीय धर्मशास्त्रों के अनुसार जीवों की उत्पत्ति जल से हुई है।
वृहदारण्यक उपनिषद में कहा गया है कि सबसे पहले जल में सूक्ष्म जीव की उत्पत्ति हुई, उससे दूसरा जीव बना और उनके संयोग से धीरे-धीरे चींटी, बकरी, वराह आदि जीवों का विकास हुआ।
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भगवान विष्णु के दस अवतारों की संकल्पना भी इसी मान्यता को पुष्ट करती है। भगवान विष्णु ने धरती पर सबसे पहला अवतार मत्स्य रूप में लिया। उनका दूसरा अवतार कच्छप के रूप में था, जो कि एक उभयचर प्राणी है। उनका तीसरा अवतार वराह के रूप में था, जो पूर्णरूपेण स्थलचर प्राणी है। चौथा अवतार नरसिंह के रूप में हुआ। यह मनुष्य और पशु का मिला-जुला रूप था।
दान धर्म से बड़ा ना तो कोई पूण्य है ना ही कोई धर्म।
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